जीवन में सबसे सरल कार्य दूसरों को सीख़ देना होता है और यकीन मानिए "लम्हे" किसी को सीख़ या भाषण देने में विश्वास नहीं रखती। ये पुस्तक केवल एक यात्री की भावनाओं का अभिलेख है। हर सोच और उसके परिणाम-स्वरुप उठी इंतखाब का वर्णन लिए है 'लम्हे'। लम्हे एक अधूरा हसीन मजनूमा है। हर एक पाठक क्षमता रखता है। कि अपनी कारस्तानी से संपूर्ण कर सके।